भूमिक
मिस्र के पिरामिडों का निर्माण तत्कालीन राजाओं के शवों को दफनाने के लिए किया गया था। यह एक प्रकार का स्मारक स्थल है, जिसमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा गया है जिसे ‘ममी‘ कहा जाता है।
ममी किसे कहते हैं?
ममी एक मृतक जानवर या शरीर को जानबूझकर या आकस्मिक जोखिम से संरक्षित किया जाता है।
मनुष्य और जानवरों की ममी कई महाद्वीप में पाई गई है। प्राचीन मिस्र की प्रसिद्ध मामियों के अतिरिक्त अमेरिका और एशिया के क्षेत्रों में बहुत शुष्क जलवायु के मध्य ममीकरण किया गया जो कई प्राचीन संस्कृतियों की एक विशेषता थी।
ममी के शवों के साथ खाद्यान्न, पेय पदार्थ, गहने, वस्त्र, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार एवं कभी कभी उनके सेवकों को भी दफना दिया जाता था।
इतिहास
भारत की तरह मिस्र की सभ्यता बहुत पुरानी है। यहां के प्राचीन अवशेष को यहां की गौरव गाथा कहते हैं। यूं तो मिस्र में 138 पिरामिड है तथा काहिरा के उपनगर ‘गीज़ा‘ में तीन लेकिन गीजा का ‘ग्रेट-पिरामिड‘ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों में गिना जाता है। संसार के सात प्राचीन अजूबों में एकमात्र यही ऐसा स्मारक है। जिसे काल का प्रवाह भी खत्म नहीं कर सकता।
संरचना
यह पिरामिड 450 फीट ऊँचा है। यह दुनिया का सबसे ऊँचा पिरामिड माना जाता था 19 वीं सदी में इसका यह कीर्तिमान टूटा। इसका आधार 13 एकड़ में फैला है। यह 25 लाख चुना पत्थरों के खण्डों से निर्मित है जिनमें से हर एक का वजन 2 से 30 टनों के बीच है। इसका निर्माण 2560 वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था जिसे बनाने में क़रीब 23 साल लगे।
पिरामिड जाने माने मर्मज्ञ इवान हैडिंगटन ने अनुमान लगाया था कि इसे बनाने में दर्जनों श्रमिकों को साल के 365 दिनों में हर दिन लगभग 10 घंटे काम करना पड़ा होगा। यह आश्चर्य का विषय है कि बिना मशीनों के इतनी ऊँचाई तक मिस्र वासियों ने कैसे इन विशाल पाषाणखण्डों को कैसे उठाया होगा। पिरामिड के बाहर पाषाण खण्डों को इतनी कुशलता के साथ फीट किया गया है कि एक ब्लेड भी इनके बीच नहीं घुसाई जा सकती है। वर्षों से वैज्ञानिक इनका रहस्य जानने प्रयासों में लगे है किंतु अभी तक को सफलता नहीं मिली है।
पिरामिड से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
1) इनके निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाए गए हैं जैसे कि तीनों पिरामिड ओरियन राशि के तीन तारों की सीध में है। ग्रेट एक पाषाण कंप्यूटर जैसा है। यदि इसके किनारों की लंबाई, ऊंचाई और कोणों को नापा जाए तो पृथ्वी से संबंधित भिन्न-भिन्न चीजों की सटीक गणना की जा सकती है।
2) इसमें पत्थरों प्रयोग इस प्रकार किया गई है, कि इसके भीतर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है।
3) पिरामिड में नींव के चारों कोनों के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाए गए हैं ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूकंप से सुरक्षित रहे।
4) इन पिरामिडों का इस्तेमाल वेधशाला, कैलेंडर, सनडायल और सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी की गति और प्रकाश के वेग को जानने के लिए करते थे।
5) इस पिरामिड को गणित की जन्मकुंडली भी कहा जाता है जिससे भविष्य की गणना की जा सकती है।
6) कुछ लोगों का मानना है, कि यह मानव स्वास्थ्य पर भी शुभ प्रभाव डालता है। सिर दर्द, दांत दर्द, से छुटकारा मिलता है। तथा घाव, छाले, खरोंच, आदि इसके अंदर बैठने से बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
7) अन्ततः मिस्र में वैसे तो 118 पिरामिड हैं, पर इनमें से गीज़ा का ‘ग्रेट पिरामिड‘ ही है जिसके ऊपर का 10 मीटर का हिस्सा गिर चुका है इसके पास दो और पिरामिड भी है जो इससे छोटे हैं।
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